सर्प को सबसे जहरीला जीव माना जाता है ,लोग कहते हैं की साप के काटने से व्यक्ति की जान चली जाती है जबकि यह बात सरासर गलत है आज तक साँप की कुल जातियाँ 550 हैं,उनमें से सबसे ज्यादा जहरिले साँप मात्र 10 हैं। वह साँप भी बहुत कम पाये जाते हैं और जब भी कोई जहरीला साँप काट लें तो व्यक्ति के शरीर में जहर को फैलने में समय लगता है और जितना तेज़ी से वह फैलता है उसी के अनुसार उसकी मृत्यु होती है।
साँप का दंश बाहर होना ही लोगों की मौत का कारण बन जाता है । आपको जान कर हैरानी भी हो सकती है ज्यादा तर लोग सिर्फ खौफ के कारण ही अपनी जान दे देते यह सोच कर की उनको साँप ने कट लिया है । जबकि ऐसा नही होता की साँप ने इस्तना जहर भी डाला हो की व्यक्ति की मौत हो जाये । आज हम आपको इसी से जुड़ी कुछ खास जानकारी बताने जा रहे है । आज हम आपको बताने जा रहे है की कैसे आप साँप का जहर खत्म कर व्यक्ति को सव्स्थ कर सकते हैं आइये जानते हैं कुछ अतरंगी से उपायों के बारें में ।
द्रोणपुष्पी पौधे का नाम तो आपने सुना ही होगा , ये अकसर जंगली इलाकों में या सड़क के किनारे आसानी से लगा हुआ दिख जाता है। ये एक प्रकार का खरपतवार है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे गुम्मा नाम से भी जाना जाता है। अगर किसी को सांप काट लें तो द्रोणपुष्पी का सवरस निकाल कर रोगी को पिला देने से रोगी का जहर सिर्फ दस मिनट में उतर जाता है। सबरस का मतलब होता है इसके सम्पूर्ण पौधे का रस।
द्रोणपुष्पी, जिसे अंग्रेजी में ‘Thumbed’ के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसके फूल द्रोण (दोना या प्याला) के जैसे होते हैं। इसका नाम उसके फूलों के आकार के आधार पर रखा गया है। द्रोणपुष्पी का पौधा उच्चायु और अव्यापक होता है, जिसकी तने और शाखाएं चतुर्कोणीय होती हैं। इसके पत्ते सीधे और अण्डाकार-भालाकार होते हैं, जिनमें गंध होती है और यह स्वाद में कड़वा होता है। इसके छोटे, सफेद फूल और भूरे रंग के फल इसकी खासियत हैं। इसकी जड़ सफेद रंग की होती है और स्वाद में चर्परी होती है। यह पौधा अगस्त से दिसम्बर तक फूलता है।
द्रोणपुष्पी के कई प्रजातियां होती हैं, जिनमें से कुछ अहम हैं:
Leucas aspera (Willed) Link (द्रोणकपुष्पी)
Leucas zeylanica Br (क्षुद्र द्रोणपुष्पी)
इनका उपयोग भूख की कमी, पेट फूलना, दर्द, टाइफाइड, बुखार, और पेट के रोगों के इलाज में किया जाता है।
द्रोणपुष्पी पौधे का प्रभाव (Effect):-
द्रोणपुष्पी के औषधीय गुणों के कारण यह आयुर्वेद में महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके उपयोग से वात, पित्त, कफ, भुजंग और शोथ संबंधित विकारों में लाभ मिलता है। इसका प्रयोग पुराने समय से बुखार, खांसी, ठंड, सर्दी, मेंसेजिया, धमनिविकार, रक्तशोधक, मेदस्या, दिल के रोग, और बालविकार के उपचार में भी किया जाता है।
प्रभाव (Effect):- द्रोणपुष्पी वात और पित्त को शांत करती है और कफ को बाहर निकालने में मदद करती है। इसका सेवन मानसिक शक्ति को बढ़ाता है और रुचि को बढ़ाता है। यह शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती है और मस्तिष्क को सक्रिय रखती है।
द्रोणपुष्पी का उपयोग कैसे करें:-
- बुखार में उपयोग (Fever):-
द्रोणपुष्पी के रस के साथ कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रोगी को पिलाने से ज्वर (बुखार) के रोग में आराम पहुंचता है। - सर्दी में उपयोग (Cold):-
द्रोणपुष्पी के रस का नाक में डालने और सूंघने से सर्दी दूर हो जाती है। - पीलिया में उपयोग (Jaundice):-
द्रोणपुष्पी के पत्तों का रस आंखों में हर दिन सुबह-शाम लगाने से पीलिया का रोग दूर हो जाता है। - श्वास, दमा में उपयोग (Breathing, Asthma):-
द्रोणपुष्पी के सूखे फूल और धतूरे के फूल का छोटा सा भाग मिलाकर धूम्रपान करने से दमे का दौरा रुक जाता है। - यकृत (जिगर) वृद्धि में उपयोग (Liver Enlargement):-
द्रोणपुष्पी की जड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में 1 ग्राम पीपल के चूर्ण के साथ सुबह-शाम कुछ हफ्ते तक सेवन करने से जिगर बढ़ने का रोग दूर हो जाता है। - खांसी में उपयोग (Cough):-
3 ग्राम द्रोणपुष्पी के रस में 3 ग्राम बहेड़े के छिलके का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से खांसी का रोग ठीक हो जाता है। - दांतों का दर्द में उपयोग (Toothache):-
द्रोणपुष्पी का रस, समुद्रफेन, शहद, और तिल के तेल को मिलाकर कान में डालने से दांतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं और दर्द भी ठीक होता है।
द्रोणपुष्पी के औषधीय लाभ:-
- पेट के रोगों का उपचार:-
द्रोणपुष्पी पेट संबंधित समस्याओं जैसे कि अपच, गैस, एसिडिटी, और पेट की सूजन में मदद कर सकती है। इसे आमतौर पर काढ़े या चाय के रूप में उपयोग किया जाता है। - बुखार के इलाज में सहायक:-
इसके रक्तशोधक गुण बुखार के इलाज में मददगार हो सकते हैं, जो किसी इन्फेक्शन या वायरस के कारण हो सकता है। - वात, पित्त, और कफ के संतुलन को बनाए रखने में मददगार:-
द्रोणपुष्पी वात, पित्त, और कफ को संतुलित करने में मदद कर सकती है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। - शोथ संबंधित विकारों का इलाज:-
इसके रक्तशोधक गुणों के कारण, द्रोणपुष्पी शोथ संबंधित विकारों जैसे कि आर्थराइटिस, गठिया, और सूजन का इलाज में मददगार हो सकती है। - रक्तशोधक गुणों के कारण स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक:-
द्रोणपुष्पी के रक्तशोधक गुण से, यह शरीर के विभिन्न अंगों की सफाई और शुद्धि करने में मदद कर सकती है। इसे रक्तशोधक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। - मेदस्या का इलाज:-
इसके द्रोणपुष्पी के भेदनकारी गुण उदर विकारों जैसे कि अपच, कब्ज, और आंत्र इंफेक्शन का इलाज कर सकते हैं। - दिल के रोगों के उपचार:-
इसके मेध्य गुणों के कारण, द्रोणपुष्पी दिल संबंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकती है, जैसे कि हृदय रोग, हार्ट ब्लॉकेज, और उच्च रक्तचाप। - बालविकार का उपचार:- इसके रक्तशोधक गुण त्वचा के स्वस्थ और चमकदार रहने में मदद कर सकते हैं, जिससे बालों की सेहत बनी रहती है।
- सांप काटने पर उपचार:-
द्रोणपुष्पी के फायदों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके रक्तशोधक गुण सांप के जहर को खत्म करने में मदद कर सकते हैं। सांप के काटने पर, उसका विष शरीर में प्रवेश करता है जो गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। द्रोणपुष्पी के रक्तशोधक गुण सांप के विषाणुओं को नष्ट कर सकते हैं और इस तरह विष के प्रभाव को कम कर सकते हैं। यह उपाय आपको सांप के काटने के बाद जल्दी उपचार प्राप्त करने में मदद कर सकता है और गंभीरता को कम कर सकता है। - त्वचा रोगों का उपचार:-
द्रोणपुष्पी के लेप को लगाने से त्वचा में सुखापन आता है और त्वचा के अंगों को ताजगी मिलती है। इससे त्वचा की खुजली और लालिमा कम होती है और त्वचा के रोगों का उपचार होता है।
सर्पदंश होने पर कुछ घरेलू नुस्खे:-
यदि किसी को साँप काठ लें और आपके पास कुछ भी ना हो तो मोर पंख हर घर में मिला है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है इसके आगे के भाग जहहन आँख बनी होती है उसको पीस कर पानी में मिला कर दंश पर अगने से बहुत ही जल्द साँप के जहर का असर उतार जाता है और व्यक्ति की जान बच जाती है ।
- जहां साँप ने कट लिया हो वहाँ पर पहले प्लस के आकार में कट लगा दें और उसके बाद उसमें बिना बुझा चुना बारीक पीस कर लगा दें अब 2 बूंद पानी की उस पर दाल दें यह तरीका रोगी का सारा जहर खींच लेगा और उसको राहत भी लगेगी ।
- सांप काटने से पीड़ित व्यक्ति को गिलोय की जड़ का रस निकाल कर पिलाने से सांप का जहर उतर जाता है। कभी -कभी सांप के काटे हुए व्यक्ति का शरीर नीला पड़ जाता है, उस स्थिति में गिलोय के रस को रोगी के कान ,आँख और नाक में डालना चाहिए। इससे तुरंत लाभ मिलता है।